दिल्ली : विशेष प्रतिनिधि
भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार को जो सीजफायर पर सहमति बने अभी 3 घंटे भी नहीं हुए थे कि पाकिस्तान ने एक बार फिर से सीजफायर का उल्लंघन किया जाना एक अत्यंत गंभीर और चिंता का विषय है। ताज़ा घटनाओं में भी पाकिस्तान ने एक बार फिर सीजफायर का उल्लंघन कर भारतीय और रिहायशी इलाकों श्रीनगर आदि इलाकों में ड्रोन से हमला किया मगर सेना ने उन्हें हवा में ही खत्म कर दिया । सीजफायर उल्लंघन केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक धोखा भी है। जब दोनों देशों के बीच किसी समझौते या सहमति के अंतर्गत शांति स्थापित करने का प्रयास किया जाता है, तो पाकिस्तान द्वारा इस तरह के कदम शांति की हर कोशिश को विफल कर देते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान पर भरोसा करना अत्यंत कठिन है। वह बार-बार अपनी कथनी और करनी में अंतर दिखाता है, जिससे उसका दोहरा चरित्र सामने आता है।
पाकिस्तान की यह नीति न केवल उसके आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाती है, बल्कि उसकी सेना और आतंकवादी संगठनों के बीच गहरी मिलीभगत की ओर भी इशारा करती है। LOC पर गोलाबारी के पीछे अक्सर आतंकवादियों की घुसपैठ को कवर देने की मंशा छिपी होती है। यह अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
अब समय आ गया है कि भारत को कठोर और निर्णायक कदम उठाने चाहिए। केवल कूटनीतिक विरोध या सीमा पर जवाबी कार्रवाई पर्याप्त नहीं होगी। हमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को उजागर करना चाहिए और यह साबित करना चाहिए कि वह न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।
पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देना आवश्यक है कि भारत अब हर बार की तरह सहन नहीं करेगा। शांति की कामना तभी सार्थक है जब दोनों पक्षों में ईमानदारी हो। लेकिन जब एक पक्ष बार-बार विश्वासघात करे, तो कठोरता ही एकमात्र रास्ता रह जाता है।