एफपीएआई ने किया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
पंचकूला व चंडीगढ़ की कई संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुंचे
पंचकूला। जलवायु परिवर्तन और आपातकालीन परिस्थिति जैसे बाढ़, सूखा, महामारी या विस्थापन का सीधा प्रभाव किशोरों, विशेषकर किशोरियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस चुनौतीपूर्ण परिप्रेक्ष्य में, फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया पंचकूला शाखा ने गुरुवार को एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें किशोर यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर आपात स्थितियों और जलवायु संकट के प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस अवसर पर एफपीएआई महाप्रबंधक मनोज कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य साझेदार संगठनों को सशक्त करना, जमीनी अनुभवों को साझा करना, और संकट की घड़ी में किशोरों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझते हुए एक समन्वित प्रतिक्रिया की योजना तैयार करना था।
फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक्सटर्नल एक्सपर्ट सुश्री निधि कपूर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन किस प्रकार पृथ्वी के तापमान, मौसमी पैटर्न और प्राकृतिक आपदाओं को प्रभावित कर रहा है। प्रस्तुति में ग्रीनहाउस गैसों की भूमिका, मानवीय गतिविधियों के प्रभाव और इसके सामाजिक व पर्यावरणीय परिणामों को भी रेखांकित किया गया। यह प्रस्तुति विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी रही जो इस विषय से पहली बार परिचित हो रहे थे।
डॉ. अमित कितकुले प्रोजेक्ट मैनेजर स्प्रिंट-4 फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि आपदा क्या होती है। किशोरों की परिभाषा क्या है। इस कार्यक्रम में समाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, सामुदायिक कार्यकर्ता, शिक्षाविदों एवं युवा स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
सुश्री वंदना शर्मा शाखा कार्यक्रम अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हम सभी साझेदार संगठनों से अनुरोध करते हैं कि वे इस मुद्दे को अपनी कार्य प्राथमिकताओं में शामिल करें और मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाएं जहां आपदा के समय भी किशोरों को सुरक्षित, सम्मानजनक और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
जलवायु परिवर्तन व आपातकालीन परिस्थितियों से प्रभावित होता है प्रजनन
