वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं समाज सेवक एस.एस. नंदा नहीं रहे , अस्पताल मे ली अंतिम सांस

गरीबों के मसीहा थे नंदा,  पूरा जीवन समाज की सेवा में समर्पित किया

 

कालका : कालका शहर के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, समाजसेवी, और मानवता के प्रतीक एस.एस. नंदा का निधन समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लंबी बीमारी से संघर्ष के बाद एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके जीवन का हर क्षण सेवा और समर्पण की मिसाल रहा। नंदा साहब सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक सच्चे इंसान, समाज के सच्चे सेवक और कालका के असली बेटे थे।

जीवन भर सेवा का संकल्प

एस.एस. नंदा का जीवन एक खुली किताब की तरह था, जिसमें हर पन्ना किसी की मदद, किसी की दुआ, और किसी की उम्मीद से भरा हुआ था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के एक कर्मठ और निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया, लेकिन उन्होंने राजनीति को कभी पद और प्रतिष्ठा का माध्यम नहीं बनाया, बल्कि सेवा का माध्यम माना। उन्होंने बार-बार यह साबित किया कि राजनीति अगर सही उद्देश्य से की जाए तो वह समाज की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।

नंदा साहब कालका नगर परिषद में कई बार पार्षद रहे। बाद में उन्हें पंचकूला नगर निगम में वरिष्ठ उपमहापौर (सीनियर डिप्टी मेयर) के रूप में भी जिम्मेदारी मिली। लेकिन जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती है, वह यह कि उन्होंने कभी इन पदों को अपनी सेवा के मार्ग में बाधा नहीं बनने दिया। उनके दरवाजे हमेशा आमजन के लिए खुले रहते थे।

गरीबों के लिए देवदूत

कालका की धरती पर शायद ही कोई ऐसा जरूरतमंद रहा हो जिसने एस.एस. नंदा से सहायता मांगी हो और खाली लौटा हो। चाहे किसी की बेटी की शादी हो, घर में बीमारी हो, दवाई की जरूरत हो या कोई कानूनी अड़चन — नंदा जी हर समय मदद के लिए तत्पर रहते थे। वे स्वयं जाकर लोगों की परेशानियाँ सुनते और समाधान करते।

रेलवे कॉलोनी में एक दौर ऐसा था जब पूरे क्षेत्र में गाड़ी सिर्फ नंदा साहब के पास हुआ करती थी। अगर किसी का परिवारजन बीमार हो जाए और चंडीगढ़ के पीजीआई या अन्य अस्पताल ले जाने की नौबत आती, तो लोग सीधे नंदा साहब के पास पहुंचते। उन्होंने कभी भी समय, दूरी या खर्च की परवाह नहीं की — रात हो या दिन, वे स्वयं बीमार व्यक्ति को गाड़ी में लेकर अस्पताल ले जाते और पूरा सहयोग करते। न केवल गाड़ी में ले जाते, बल्कि कई बार मरीज की दवा और टेस्ट का खर्च भी खुद ही उठा लेते।

हर धर्म में आस्था, हर दिल में सम्मान

नंदा साहब ने धर्म, जाति और वर्ग की सीमाओं से परे जाकर सेवा की। वह मंदिर हो या गुरुद्वारा, मस्जिद हो या चर्च — हर जगह नंदा साहब का योगदान रहता। उन्होंने हर धार्मिक आयोजन में तन, मन और धन से सहयोग दिया, लेकिन कभी भी उसका प्रचार नहीं किया। उनके द्वारा दिए गए दान को लोग आज तक नहीं भूल पाए हैं। यही कारण है कि आज हर धर्म, हर समाज, हर मोहल्ला, और हर वर्ग उनका शोक मना रहा है।

राजनीति नहीं, जनसेवा का माध्यम

नंदा जी की राजनीति ‘सत्ता’ नहीं बल्कि ‘सेवा’ का नाम थी। उन्होंने समाज की सेवा को प्राथमिकता दी और पार्टी के प्रति पूरी ईमानदारी से कार्य किया। कांग्रेस के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया, लेकिन कभी भी व्यक्तिगत लाभ नहीं लिया। जब पार्टी को संगठनात्मक मजबूती की जरूरत थी, तब वे सबसे आगे खड़े रहते। पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता और सादगी ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी थी।

अंतिम यात्रा : एक युग का अंत

आज, 13 जुलाई 2025 को दोपहर 1 बजे, कालका के रामबाग श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जायगा । सैकड़ों की संख्या में लोग, जिनमें सभी धर्मों और वर्गों के लोग शामिल है उन्हें अंतिम विदाई देने उनके कालका निवास पर पहुंच रहे हैं । हर आंख नम थी, हर मन श्रद्धा से झुका हुआ था। समाजसेवियों, राजनेताओं, स्थानीय नेताओं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं, और आम नागरिकों ने उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

रमोला न्यूज़ की ओर से श्रद्धांजलि

रमोला न्यूज़ परिवार दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
एस.एस. नंदा जी जैसे व्यक्तित्व विरले ही जन्म लेते हैं। उन्होंने जो संस्कार, सेवा और समर्पण की भावना समाज को दी है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

उनकी पुण्यात्मा को प्रभु अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी को सहने की शक्ति प्रदान करें।

नमन है उस सेवाभावी जीवन को, जो सदा दूसरों के लिए जिया।
श्रद्धांजलि उस आत्मा को, जिसने सेवा को ही धर्म बना लिया।

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